Saturday, 19 April 2025

स्वर और व्यंजन कितने होते हैं उनकी परिभाषा,प्रकार और कुल संख्या ।

हिन्दी वर्णमाला: Alphabet 
                                        ध्वनि के सबसे छोटे रूप का लिखित रूप वर्ण कहलाता है । इसे अक्षर या ध्वनि चिह्न भी कहते हैं। वर्णों अर्थात ध्वनि चिन्हों के सामूहिक व्यवस्थित स्वरूप  को वर्णमाला की संज्ञा दी जाती है ।
हिन्दी वर्णमाला (Alphabet ) में कुल 52 वर्ण हैं। जिसमें 11 स्वर 33 व्यंजन 2अयोगवाह 4 संयुक्त और 2 द्विगुण व्यंजन हैं। जो इस प्रकार हैं 
          अ आ इ ई उ ऊ ऋ ए ऐ ओ औ   ( स्वर 11)
          अं अ:                                    (अयोगवाह 2)
          क ख ग घ ड़                            (व्यंजन 33)
          च  छ ज झ 
          ट ठ ड ढ ण 
          त थ द ध न 
          प फ ब भ म 
          य र  ल व श 
          ष स ह 
          क्ष त्र ज्ञ श्र                  ( संयुक्त वर्ण 4)
                                        1. क्ष = क् + ष 

                                       2. त्र = त् + र 
                                       3. ज्ञ = ज् + ञ
                                       4. श्र = श् + र


         ड़  ढ़                 ( द्विगुण व्यंजन 2 )

   1. स्वर वर्ण (Vowels)

स्वर वे ध्वनियाँ हैं जिन्हें स्वतंत्र रूप से बिना किसी रुकावट के बोला जा सकता है।
इनकी संख्या 11 है 

       अ आ इ ई  उ ऊ ऋ ए ऐ ओ औ

1. उच्चारण के आधार पर स्वर के प्रकार:

  1. ह्रस्व स्वर (छोटे स्वर) –  इसे मूल स्वर भी कहते हैं इसका उच्चारण जल्दी होता है।

    • अ, इ, उ, ऋ
  2. दीर्घ स्वर (लंबे स्वर) –  किसी मूल स्वर को उसी स्वर से मिलने जो स्वर बनता है उसे  दीर्घ स्वर कहते हैं जिनका उच्चारण थोड़ा लंबा होता है ।

    • आ, ई, ऊ,
    •  ए, ऐ, ओ, औ  जब कोई  मूल स्वर किसी अन्य दूसरे स्वर  से मिलकर जिस स्वर का निर्माण करता है उस स्वर को  संयुक्त स्वर कहते हैं।
  3. प्लुत स्वर – जिनका उच्चारण बहुत लंबा खिंच कर होता है (यह आमतौर पर संस्कृत में मिलता है):

    • जैसे – रामःऽ (तीन मात्रा का उच्चारण)

2. ध्वनि के निकास स्थान के आधार पर (मुख की बनावट से): है 


  • कंठ्य (गले से निकलने वाले) – अ, आ, 
  • तालव्य (तालु से) – इ, ई
  • ओष्ठ्य (होठों से) – उ, ऊ
  • मूर्धन्य (जीभ के ऊपरी भाग से) – ऋ
  • दन्त्य (दांतों से) – ए, ऐ
  • ओष्ठतालव्य – ओ, औ

3. मात्रा के आधार पर :

  • ह्रस्व (1 मात्रा) – अ, इ, उ, ऋ
  • दीर्घ (2 मात्राएँ) – आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ
  • प्लुत (3 मात्राएँ) – दुर्लभ, जैसे मन्त्रों में "ॐऽ"
(2)     अयोगवाह वर्ण : 
                  अयोगवाह वर्ण की संख्या 2 है 
              ( 1 )   अं ( अनुस्वार स्वर )     
              ( 2 )   अ:   (विसर्ग)

2. व्यंजन  वर्ण (Consonants)

व्यंजन वे ध्वनियाँ हैं जिनका उच्चारण स्वरों की सहायता होता है। प्रत्येक व्यंजन के उच्चारण में अ की ध्वनि छिपी रहती है अ के बिना व्यंजन का उच्चारण संभव नहीं; जैसे क+अ,=क  ख +अ=ख आदि।
हिन्दी  में कुल व्यंजनों  की संख्या 33 हैं जिन्हें 3 वर्गों में विभाजित किया गया है जो इस प्रकार हैं 

1.स्पर्श व्यंजन:

क वर्ग: क, ख, ग, घ, ङ
च वर्ग: च, छ, ज, झ, ञ
ट वर्ग: ट, ठ, ड, ढ, ण               25
त वर्ग: त, थ, द, ध, न
प वर्ग: प, फ, ब, भ, म
2.अंतस्थ व्यंजन (अर्धस्वर): य, र, ल, व              4
3.उष्म व्यंजन (मृदु व्यंजन): श, ष, स, ह              4

संयुक्त व्यंजन: 

                     दो या दो से अधिक व्यंजनों के मेल को संयुक व्यंजन कहते हैं । हिन्दी में संयुक्त व्यंजनों की संख्या 4 है

1. क्ष = क् + ष → कक्षा, क्षमा, क्षण
2. त्र = त् + र → त्रिकोण, त्रास, त्रिभुज
3. ज्ञ = ज् + ञ → ज्ञान, ज्ञानी, अज्ञात
4. श्र = श् + र → श्रद्धा, श्रम, श्रेणी 

द्विगुण व्यंजन

                     ड़  ढ़               

ध्वनि के निकास स्थान के आधार पर (मुख की बनावट से): है 

1.स्पर्श व्यंजन:
  • कंठ्य (गले से निकलने वाले) – क वर्ग: क, ख, ग, घ, ङ
  • तालव्य (तालु से) – च वर्ग: च, छ, ज, झ, ञ 
  • मूर्धन्य (जीभ के ऊपरी भाग से)  – ट वर्ग: ट, ठ, ड, ढ, ण
  • दन्त्य (दांतों से) – – त वर्ग: त, थ, द, ध, न
  • ओष्ठ्य (होठों से) –प वर्ग: प, फ, ब, भ, म
2.अंतस्थ व्यंजन 
                      इनकी संख्या चार है य ,र, ल ,व । इनका उच्चारण जीभ तालु दांत और ओंठो के परस्पर सटाने से होता है, किन्तु कहीं भी पूर्ण स्पर्श नहीं होता इसलिए ये अर्द्ध स्वर कहलाते हैं।  
3.उष्म व्यंजन (मृदु व्यंजन):
                                      उष्म व्यंजनों का उच्चारण एक प्रकार की रगड़ या घर्षण से उत्पन्न उष्म वायु से होता है जिनकी संख्या 4 है ,श, ष, स, ह   

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