2. त्र = त् + र
3. ज्ञ = ज् + ञ
4. श्र = श् + र
स्वर वे ध्वनियाँ हैं जिन्हें स्वतंत्र रूप से बिना किसी रुकावट के बोला जा सकता है।
इनकी संख्या 11 है
अ आ इ ई उ ऊ ऋ ए ऐ ओ औ
1. उच्चारण के आधार पर स्वर के प्रकार:
ह्रस्व स्वर (छोटे स्वर) – इसे मूल स्वर भी कहते हैं इसका उच्चारण जल्दी होता है।
- अ, इ, उ, ऋ
दीर्घ स्वर (लंबे स्वर) – किसी मूल स्वर को उसी स्वर से मिलने जो स्वर बनता है उसे दीर्घ स्वर कहते हैं जिनका उच्चारण थोड़ा लंबा होता है ।
- आ, ई, ऊ,
- ए, ऐ, ओ, औ जब कोई मूल स्वर किसी अन्य दूसरे स्वर से मिलकर जिस स्वर का निर्माण करता है उस स्वर को संयुक्त स्वर कहते हैं।
प्लुत स्वर – जिनका उच्चारण बहुत लंबा खिंच कर होता है (यह आमतौर पर संस्कृत में मिलता है):
- जैसे – रामःऽ (तीन मात्रा का उच्चारण)
2. ध्वनि के निकास स्थान के आधार पर (मुख की बनावट से): है
- कंठ्य (गले से निकलने वाले) – अ, आ,
- तालव्य (तालु से) – इ, ई
- ओष्ठ्य (होठों से) – उ, ऊ
- मूर्धन्य (जीभ के ऊपरी भाग से) – ऋ
- दन्त्य (दांतों से) – ए, ऐ
- ओष्ठतालव्य – ओ, औ
3. मात्रा के आधार पर :
- ह्रस्व (1 मात्रा) – अ, इ, उ, ऋ
- दीर्घ (2 मात्राएँ) – आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ
- प्लुत (3 मात्राएँ) – दुर्लभ, जैसे मन्त्रों में "ॐऽ"
अयोगवाह वर्ण की संख्या 2 है
( 1 ) अं ( अनुस्वार स्वर )
( 2 ) अ: (विसर्ग)
2. व्यंजन वर्ण (Consonants)
व्यंजन वे ध्वनियाँ हैं जिनका उच्चारण स्वरों की सहायता होता है। प्रत्येक व्यंजन के उच्चारण में अ की ध्वनि छिपी रहती है अ के बिना व्यंजन का उच्चारण संभव नहीं; जैसे क+अ,=क ख +अ=ख आदि।
हिन्दी में कुल व्यंजनों की संख्या 33 हैं जिन्हें 3 वर्गों में विभाजित किया गया है जो इस प्रकार हैं
1.स्पर्श व्यंजन:
क वर्ग: क, ख, ग, घ, ङ
च वर्ग: च, छ, ज, झ, ञ
ट वर्ग: ट, ठ, ड, ढ, ण 25
त वर्ग: त, थ, द, ध, न
प वर्ग: प, फ, ब, भ, म
2.अंतस्थ व्यंजन (अर्धस्वर): य, र, ल, व 4
3.उष्म व्यंजन (मृदु व्यंजन): श, ष, स, ह 4
संयुक्त व्यंजन:
दो या दो से अधिक व्यंजनों के मेल को संयुक व्यंजन कहते हैं । हिन्दी में संयुक्त व्यंजनों की संख्या 4 है
1. क्ष = क् + ष → कक्षा, क्षमा, क्षण
2. त्र = त् + र → त्रिकोण, त्रास, त्रिभुज
3. ज्ञ = ज् + ञ → ज्ञान, ज्ञानी, अज्ञात
4. श्र = श् + र → श्रद्धा, श्रम, श्रेणी
द्विगुण व्यंजन
ड़ ढ़
ध्वनि के निकास स्थान के आधार पर (मुख की बनावट से): है
- कंठ्य (गले से निकलने वाले) – क वर्ग: क, ख, ग, घ, ङ
- तालव्य (तालु से) – च वर्ग: च, छ, ज, झ, ञ
- मूर्धन्य (जीभ के ऊपरी भाग से) – ट वर्ग: ट, ठ, ड, ढ, ण
- दन्त्य (दांतों से) – – त वर्ग: त, थ, द, ध, न
- ओष्ठ्य (होठों से) –प वर्ग: प, फ, ब, भ, म
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