Thursday, 12 June 2025

भाषा और लिपि में अंतर।

 प्रस्तावना 

              मनुष्य को अपनी भावनाओं और विचारों को वयक्त करने के लिए जिस माध्यम की आवश्यकता होती है उसे भाषा कहते हैं लेकिन जब यही भावना और विचार प्रतीकों और चिन्हों के माध्यम से किसी दूसरे तक पहुंचाए जाते हैं तो उन्हीं  चिन्हों और प्रतीकों को लिपि की संज्ञा दी जाती है। कुछ लोग भाषा और लिपि को एक ही समझते हैं जबकि भाषा और लिपि में अंतर होता है भाषा के लिखित रूप की जो लिखावट होती है उसे  ही लिपि कहते हैं। 

भाषा क्या है 

                 भाषा वह माध्यम है जिसके द्वारा मनुष्य अपने विचारों और भावनाओं का आदान प्रदान करता है। जिसे सुनकर बोलकर लिख कर प्रकट किया जाता है ।यह  मौखिक और लिखित दोनों रूपों में हो सकता है ।

भाषा की विशेषता 

1 सामाजिक माध्यम 

  भाषा एक सामाजिक उपकरण है जिसके द्वारा मनुष्य एक दूसरे तक अपनी जानकारी और विचार पहुंचाता है।

2 व्यवस्थित प्रणाली 

   भाषा एक नियमबद्ध और व्यवस्थित प्रणाली है इसमें वर्ण शब्द वाक्य और व्याकरण के निश्चित नियम होते हैं।

3 ध्वन्यात्मक प्रकृति 

   हर भाषा की अपनी  विशेष ध्वनि होती है भाषा मुख्यता ध्वनियों के माध्यम से व्यक्त की जाती है ।

4 परिवर्तनशीलता

   भाषा समय के साथ बदलती रहती है  जैसे पुरानी हिन्दी मध्यकालीन हिन्दी ,आधुनिक हिन्दी।

5 सीखने योग्य 

   भाषा जन्मजात नहीं होती उसे शिक्षा और अभ्यास के द्वारा सीखा जा सकता है।

6 संप्रेषण का माध्यम 

   भाषा का मुख्य उद्देश्य संप्रेषण है जो विचारों के आदान प्रदान का साधन है।

7 प्रतीकों पर आधारित 

   भाषा प्रतीकों पर आधारित होती है शब्द वस्तुओं के लिए प्रतीक होते हैं जैसे पानी शब्द जल के लिए  एक प्रतीक है ।

8 मनुष्य मात्र की विशेषता 

   पशु पक्षियों  की  ध्वनियां भाषा नहीं होती केवल मनुष्य ही भाषा का प्रयोग करता है ।

लिपि क्या है

                लिपि वह प्रणाली है जिसके माध्यम से हम भाषा को लिखते हैं  लिपि चिन्हों अक्षरों और प्रतीकों का एक समूह होता है है जिसके माध्यम से भाषा लिखी  जाती है ।

उदाहरण 

हिन्दी भाषा की लिपि      देवनागरी लिपि 

उर्दू भाषा की लिपि।        नस्तलिक लिपि

अंग्रेजी भाषा की लिपि     रोमन लिपि 

लिपि की विशेषता 

1 भाषा को स्थायित्व देती है 

  लिपि द्वारा बोली गई भाषा को लिखा जा सकता है और उसे लिख कर स्थाई रूप से सुरक्षित किया जा सकता है।

2 स्मृति की सहायक 

   लिपि सूचनाओं और विचारों को लंबे समय तक सुरक्षित रखने का कार्य करती है जिससे स्मरण और ज्ञान संचय करने में मदद मिलती है।

3 ज्ञान के संप्रेषण का माध्यम 

   लिपि ज्ञान संस्कृति साहित्य और इतिहास को पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ाने का काम करती है।

4  दृश्य रूप देती है 

    लिपि भाषा का लिखित रूप प्रस्तुत करती है जिसे देखा भाषा के रूप में देखा और संजोया जा सकता है।

5 प्रतीकात्मक प्रणाली 

   लिपि कुछ निश्चित चिन्हों अक्षरों की प्रणाली होती है जो ध्वनियों का प्रतिनिधित्व करती है।

निष्कर्ष  

         भाषा मनुष्य के विचारों और भावनाओं को एक दूसरे तक पहुंचाने का माध्यम है जबकि लिपि भाषा को लिखने और सहेजने का माध्यम है दोनों का उपयोग अलग अलग कार्यों के लिए होता है लेकिन वे एक दूसरे के पूरक भी हैं । भाषा के बिना लिपि अधूरी है और लिपि के बिना भाषा का लिखित रूप असंभव है।

        


   

Monday, 21 April 2025

हिन्दी भाषा में शब्द ( पद- Analysis of word) विचार क्या क्या होते है?

 शब्द:-                                                                                   वह ध्वनि (या ध्वनियों का समूह) है, जो किसी अर्थ     को प्रकट करता है और जिसे बोलकर या  लिखकर  हम अपने भाव, विचार, या जानकारी को दूसरों तक पहुंचाते हैं। उसे शब्द कहते हैं।व्याकरण की दृष्टि से, शब्द भाषा की सबसे छोटी अर्थपूर्ण इकाई (Meaningful Unit) है।

"शब्द विचार" व्याकरण का एक महत्वपूर्ण अंग है, जो यह बताता है कि किसी शब्द का स्वरूप, वर्ग और कार्य क्या है। इसे व्याकरणिक विश्लेषण भी  कहते हैं।

हिन्दी भाषा में वर्णों से मिलकर शब्द बनते हैं और सार्थक शब्दों से मिलकर वाक्य।वाक्यों के हर शब्द को पद कहते हैं।

हिन्दी में शब्दों को उनके स्वरूप और कार्य के आधार पर आठ मुख्य वर्गों में बाँटा गया है:

  1. संज्ञा- (Noun):
    व्यक्ति, स्थान, वस्तु या भाव का नाम।
    जैसे: राम, पुस्तक, स्कूल, प्रेम

  2. सर्वनाम- (Pronoun):
    जो संज्ञा के स्थान पर आता है।
    जैसे: वह, ये, मैं, तुम

  3. क्रिया- (Verb):
    जो कार्य बताता है।
    जैसे: खाना, चलना, बोलना

  4. विशेषण- (Adjective):
    जो संज्ञा/सर्वनाम की विशेषता बताए।
    जैसे: सुंदर, लाल, लंबा

  5. क्रिया विशेषण- (Adverb):
    जो क्रिया, विशेषण या अन्य क्रिया विशेषण की विशेषता बताए।
    जैसे: बहुत, जल्दी, धीरे

  6. संबंधबोधक- (Preposition/Postposition):
    जो किसी शब्द का दूसरे शब्द से संबंध बताए।
    जैसे: के लिए, के साथ, में

  7. संयोजक- (Conjunction):
    जो दो शब्दों, वाक्यों या पदों को जोड़ता है।
    जैसे: और, लेकिन, क्योंकि।

  8. विस्मयादिबोधक- (Interjection):
    जो अचानक उत्पन्न भावों को प्रकट करता है।जैसे: अरे!, हाय!,  वाह आदि

शब्दों का व्याकरणिक विश्लेषण:

  1. राम – संज्ञा (व्यक्ति का नाम)
  2. तेजी – भाववाचक संज्ञा (गति या तेजी को दर्शाता है)
  3. से – संबंधबोधक (जिसके माध्यम से कार्य हो रहा है)
  4. दौड़ – मुख्य क्रिया (मुख्य क्रियापद)
  5. रहा – सहायक क्रिया (क्रिया की निरंतरता बताता है)
  6. है – सहायक क्रिया (वर्तमान काल का संकेत देता है

पदों की संख्या:

6 पद

पदों की सूची:

  1. राम
  2. तेजी
  3. से
  4. दौड़
  5. रहा 
  6. है।
        







Saturday, 19 April 2025

स्वर और व्यंजन कितने होते हैं उनकी परिभाषा,प्रकार और कुल संख्या ।

हिन्दी वर्णमाला: Alphabet 
                                        ध्वनि के सबसे छोटे रूप का लिखित रूप वर्ण कहलाता है । इसे अक्षर या ध्वनि चिह्न भी कहते हैं। वर्णों अर्थात ध्वनि चिन्हों के सामूहिक व्यवस्थित स्वरूप  को वर्णमाला की संज्ञा दी जाती है ।
हिन्दी वर्णमाला (Alphabet ) में कुल 52 वर्ण हैं। जिसमें 11 स्वर 33 व्यंजन 2अयोगवाह 4 संयुक्त और 2 द्विगुण व्यंजन हैं। जो इस प्रकार हैं 
          अ आ इ ई उ ऊ ऋ ए ऐ ओ औ   ( स्वर 11)
          अं अ:                                    (अयोगवाह 2)
          क ख ग घ ड़                            (व्यंजन 33)
          च  छ ज झ 
          ट ठ ड ढ ण 
          त थ द ध न 
          प फ ब भ म 
          य र  ल व श 
          ष स ह 
          क्ष त्र ज्ञ श्र                  ( संयुक्त वर्ण 4)
                                        1. क्ष = क् + ष 

                                       2. त्र = त् + र 
                                       3. ज्ञ = ज् + ञ
                                       4. श्र = श् + र


         ड़  ढ़                 ( द्विगुण व्यंजन 2 )

   1. स्वर वर्ण (Vowels)

स्वर वे ध्वनियाँ हैं जिन्हें स्वतंत्र रूप से बिना किसी रुकावट के बोला जा सकता है।
इनकी संख्या 11 है 

       अ आ इ ई  उ ऊ ऋ ए ऐ ओ औ

1. उच्चारण के आधार पर स्वर के प्रकार:

  1. ह्रस्व स्वर (छोटे स्वर) –  इसे मूल स्वर भी कहते हैं इसका उच्चारण जल्दी होता है।

    • अ, इ, उ, ऋ
  2. दीर्घ स्वर (लंबे स्वर) –  किसी मूल स्वर को उसी स्वर से मिलने जो स्वर बनता है उसे  दीर्घ स्वर कहते हैं जिनका उच्चारण थोड़ा लंबा होता है ।

    • आ, ई, ऊ,
    •  ए, ऐ, ओ, औ  जब कोई  मूल स्वर किसी अन्य दूसरे स्वर  से मिलकर जिस स्वर का निर्माण करता है उस स्वर को  संयुक्त स्वर कहते हैं।
  3. प्लुत स्वर – जिनका उच्चारण बहुत लंबा खिंच कर होता है (यह आमतौर पर संस्कृत में मिलता है):

    • जैसे – रामःऽ (तीन मात्रा का उच्चारण)

2. ध्वनि के निकास स्थान के आधार पर (मुख की बनावट से): है 


  • कंठ्य (गले से निकलने वाले) – अ, आ, 
  • तालव्य (तालु से) – इ, ई
  • ओष्ठ्य (होठों से) – उ, ऊ
  • मूर्धन्य (जीभ के ऊपरी भाग से) – ऋ
  • दन्त्य (दांतों से) – ए, ऐ
  • ओष्ठतालव्य – ओ, औ

3. मात्रा के आधार पर :

  • ह्रस्व (1 मात्रा) – अ, इ, उ, ऋ
  • दीर्घ (2 मात्राएँ) – आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ
  • प्लुत (3 मात्राएँ) – दुर्लभ, जैसे मन्त्रों में "ॐऽ"
(2)     अयोगवाह वर्ण : 
                  अयोगवाह वर्ण की संख्या 2 है 
              ( 1 )   अं ( अनुस्वार स्वर )     
              ( 2 )   अ:   (विसर्ग)

2. व्यंजन  वर्ण (Consonants)

व्यंजन वे ध्वनियाँ हैं जिनका उच्चारण स्वरों की सहायता होता है। प्रत्येक व्यंजन के उच्चारण में अ की ध्वनि छिपी रहती है अ के बिना व्यंजन का उच्चारण संभव नहीं; जैसे क+अ,=क  ख +अ=ख आदि।
हिन्दी  में कुल व्यंजनों  की संख्या 33 हैं जिन्हें 3 वर्गों में विभाजित किया गया है जो इस प्रकार हैं 

1.स्पर्श व्यंजन:

क वर्ग: क, ख, ग, घ, ङ
च वर्ग: च, छ, ज, झ, ञ
ट वर्ग: ट, ठ, ड, ढ, ण               25
त वर्ग: त, थ, द, ध, न
प वर्ग: प, फ, ब, भ, म
2.अंतस्थ व्यंजन (अर्धस्वर): य, र, ल, व              4
3.उष्म व्यंजन (मृदु व्यंजन): श, ष, स, ह              4

संयुक्त व्यंजन: 

                     दो या दो से अधिक व्यंजनों के मेल को संयुक व्यंजन कहते हैं । हिन्दी में संयुक्त व्यंजनों की संख्या 4 है

1. क्ष = क् + ष → कक्षा, क्षमा, क्षण
2. त्र = त् + र → त्रिकोण, त्रास, त्रिभुज
3. ज्ञ = ज् + ञ → ज्ञान, ज्ञानी, अज्ञात
4. श्र = श् + र → श्रद्धा, श्रम, श्रेणी 

द्विगुण व्यंजन

                     ड़  ढ़               

ध्वनि के निकास स्थान के आधार पर (मुख की बनावट से): है 

1.स्पर्श व्यंजन:
  • कंठ्य (गले से निकलने वाले) – क वर्ग: क, ख, ग, घ, ङ
  • तालव्य (तालु से) – च वर्ग: च, छ, ज, झ, ञ 
  • मूर्धन्य (जीभ के ऊपरी भाग से)  – ट वर्ग: ट, ठ, ड, ढ, ण
  • दन्त्य (दांतों से) – – त वर्ग: त, थ, द, ध, न
  • ओष्ठ्य (होठों से) –प वर्ग: प, फ, ब, भ, म
2.अंतस्थ व्यंजन 
                      इनकी संख्या चार है य ,र, ल ,व । इनका उच्चारण जीभ तालु दांत और ओंठो के परस्पर सटाने से होता है, किन्तु कहीं भी पूर्ण स्पर्श नहीं होता इसलिए ये अर्द्ध स्वर कहलाते हैं।  
3.उष्म व्यंजन (मृदु व्यंजन):
                                      उष्म व्यंजनों का उच्चारण एक प्रकार की रगड़ या घर्षण से उत्पन्न उष्म वायु से होता है जिनकी संख्या 4 है ,श, ष, स, ह   

Thursday, 17 April 2025

वर्ण विचार( Analysis of sounds and latter's) क्या है? परिभाषा, प्रकार और उदाहरण!

वर्ण (पद) विचार:-

इसके अंतर्गत वर्णों के आकार ,भेद , उच्चारण और उनको मिलाने की विधि बतायी जाती है।

ध्वनि :-

उच्चारण की दृष्टि से भाषा की लघुतम इकाई ध्वनि है।ध्वनि अर्थात आवाज, आवाज शब्दों की आधारशिला है ।किन्तु हर तरह की आवाज नहीं जैसे जानवरों की आवाज, किसी वस्तु की आवाज ,मौसमी घटनाओं की आवाज आदि । केवल मनुष्य के मुख से निकलने वाली ध्वनि ही भाषा कही जाती है यहां तक कि मनुष्य के मुख से निकलने वाली ध्वनि अर्थात आवाज भी भाषा नहीं कही जा सकती उदाहरण  के लिए कराहने की आवाज ,खर्राटे की आवाज, रोने की आवाज, जम्हाई  लेने की आवाज आदि। हर तरह की ध्वनि भाषा नहीं हो सकती ।भाषा में ध्वनियों को एक खास तरह से व्यवस्थित किया जाता है ताकि वह अर्थ व्यक्त कर सके ।

वर्ण :-

ध्वनि की सबसे छोटी इकाई (आवाज का सबसे छोटा रूप )के लिखित रूप को ध्वनि चिह्न , वर्ण या अक्षर कहते हैं।

ध्वनि को स्वनिम (phoneme) भी कहते हैं। स्वनिम संस्कृत भाषा के स्वन धातु से बना है जिसका अर्थ होता है ध्वनि।

ध्वनि के पक्ष:-
ध्वनि के तीन पक्ष होते हैं _
 (1)    उत्पादन 
 (२)     संवहन 
 (३)     ग्रहण 

            ध्वनि का उत्पादन वाग्इन्द्रियो से होता है 
            उसका संवहन वायु तरंगे करती हैं और 
            ग्रहण की क्रिया कान द्वारा होती है।
ध्वनि गुण :-
ध्वनि गुण चार माने गए हैं। मात्रा, स्वर ,आघात ,वृत्ति। 
ध्वनि गुण को ध्वनि लक्षण ,रागीय तत्व, अखण्ड ध्वनि ,रागिम आदि भी कहते हैं।
ध्वनि के  भेद :-
                  ध्वनि अर्थात स्वनिम के दो भेद होते हैं 
  1   खण्डय (segmental)
  2   खंडेत्तर (supra segmental)
(1) खण्डय स्वनिम :-
                          ऐसी ध्वनियां जिन्हें हम स्वतंत्र रूप से उच्चारित कर सकते हैं उन्हें खण्डय  स्वनिम कहते हैं। इसके दो भेद हैं -(1) स्वर (2) व्यंजन 
(2) खंडेत्तर स्वनिम:-
                          जिन ध्वनियों का स्वतंत्र उच्चारण नहीं हो सकता, उन्हें खंडेत्तर स्वनिम कहते हैं , जैसे-अनुनासिकता,सुर अनुतान, संगम।
                  

Wednesday, 16 April 2025

व्याकरण ( grammar) किसे कहते हैं ?


व्याकरण
 :- (GRAMMAR)

किसी भी भाषा को लिखने पढ़ने और बोलने के नियमों का   क्रमबद्ध व्यवस्थित स्वरूप को व्याकरण ( grammar) कहते हैं।

       हिन्दी भाषा व्याकरण 

   हिन्दी भाषा व्याकरण चार खंडों पर आधारित है। जो इस       प्रकार है :-

  (1) वर्ण विचार

  (2) शब्द (पद)विचार 

  (3) वाक्य विचार

  (4) अर्थ विचार

Tuesday, 15 April 2025

हिन्दी भाषा व्याकरण और साहित्य

Hindistudybooklet हिन्दी भाषा के व्याकरण और साहित्य के विषय में विस्तृत जानकारी पाठकों के सम्मुख सहज और सरल रूप में प्रस्तुत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।